पाठ 12 : सुदामा चरित
✨ पाठ का सार (सरल भाषा में)
यह पाठ सुदामा और श्रीकृष्ण की मित्रता पर आधारित है।
सुदामा बहुत गरीब ब्राह्मण थे, जबकि श्रीकृष्ण द्वारका के राजा थे।
गरीबी और कठिन हालात के कारण सुदामा
संकोच के साथ अपने मित्र श्रीकृष्ण से मिलने जाते हैं।
श्रीकृष्ण अपने गरीब मित्र का
बहुत आदर और प्रेम से स्वागत करते हैं।
सुदामा उनके लिए लाई हुई
थोड़ी-सी भेंट (चावल) भी
श्रीकृष्ण प्रेम से स्वीकार करते हैं।
सुदामा कुछ माँगते नहीं,
लेकिन श्रीकृष्ण उनकी
गरीबी दूर कर देते हैं।
यह कथा बताती है कि
सच्ची मित्रता में धन-दौलत का कोई महत्व नहीं होता,
प्रेम और सम्मान सबसे बड़े होते हैं।
📝 प्रश्न–उत्तर (Question–Answer)
प्रश्न 1. सुदामा कौन थे?
उत्तर:
सुदामा श्रीकृष्ण के बाल मित्र और एक गरीब ब्राह्मण थे।
प्रश्न 2. सुदामा श्रीकृष्ण से मिलने क्यों गए थे?
उत्तर:
गरीबी और परिवार की स्थिति के कारण वे अपने मित्र से मिलने गए थे।
प्रश्न 3. श्रीकृष्ण ने सुदामा का स्वागत कैसे किया?
उत्तर:
श्रीकृष्ण ने सुदामा का बहुत प्रेम और सम्मान से स्वागत किया।
प्रश्न 4. सुदामा श्रीकृष्ण से क्या माँगते हैं?
उत्तर:
सुदामा श्रीकृष्ण से कुछ भी नहीं माँगते।
प्रश्न 5. इस पाठ से हमें क्या शिक्षा मिलती है?
उत्तर:
हमें सच्ची मित्रता, प्रेम, विनम्रता और मानवता का महत्व समझना चाहिए।
✍️ शब्दार्थ
चरित – जीवन कथा
गरीब – निर्धन
मित्रता – दोस्ती
आदर – सम्मान
विनम्रता – नम्रता
✅ परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण बिंदु
सुदामा-कृष्ण की सच्ची मित्रता
प्रेम और सम्मान का महत्व
धन से ऊपर मानवता
