पाठ 6 : भगवान के डाकिए

पाठ का सार (सरल भाषा में)

यह एक भावनात्मक कविता है।
कवि ने डाकिए को भगवान का दूत बताया है।
डाकिया केवल पत्र नहीं लाता,
वह लोगों के लिए खुशी, दुख, आशा और संदेश लेकर आता है।

कभी उसकी थैली में
खुशखबरी होती है,
कभी किसी की चिंता,
तो कभी बिछड़े अपनों की यादें।
डाकिया हर घर तक संदेश पहुँचाता है,
चाहे रास्ता कितना ही कठिन क्यों न हो।

कवि का कहना है कि
डाकिए का काम बहुत महत्वपूर्ण और जिम्मेदारी भरा है।
वह निस्वार्थ भाव से
लोगों के दिलों को जोड़ता है।


📝 प्रश्न–उत्तर (Question–Answer)

प्रश्न 1. कवि ने डाकिए को ‘भगवान का डाकिया’ क्यों कहा है?

उत्तर:
क्योंकि डाकिया लोगों तक खुशियाँ, दुख और संदेश पहुँचाता है, जैसे भगवान का दूत।


प्रश्न 2. डाकिया अपने थैले में क्या-क्या लाता है?

उत्तर:
डाकिया पत्र, खबरें, खुशियाँ, दुख और आशा लेकर आता है।


प्रश्न 3. डाकिए का कार्य कठिन क्यों माना गया है?

उत्तर:
क्योंकि वह हर परिस्थिति में, हर रास्ते से होकर संदेश पहुँचाता है।


प्रश्न 4. कविता का मुख्य भाव क्या है?

उत्तर:
कविता का मुख्य भाव सेवा, कर्तव्य और मानव संबंधों की महत्ता है।


प्रश्न 5. इस कविता से हमें क्या शिक्षा मिलती है?

उत्तर:
हमें अपने कर्तव्य को ईमानदारी और निस्वार्थ भाव से निभाना चाहिए।


✍️ शब्दार्थ

  • डाकिया – पत्र पहुँचाने वाला

  • दूत – संदेशवाहक

  • निस्वार्थ – बिना स्वार्थ के

  • कर्तव्य – ज़िम्मेदारी

  • संदेश – खबर


परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण बिंदु

  • डाकिया = संदेश और भावनाओं का वाहक

  • कविता मानवीय संवेदना से भरी

  • सेवा और कर्तव्य का संदेश

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top