Class 7 Hindi – वसंत भाग 2 पाठ 4 : कठपुतली

पाठ का सार (सरल भाषा में)

यह एक प्रतीकात्मक कविता है।
कवि ने कठपुतली के माध्यम से
मनुष्य के जीवन की स्थिति को बताया है।

कठपुतली खुद कुछ नहीं कर सकती,
वह डोरियों के सहारे नाचती है।
उसी तरह कई बार मनुष्य भी
परिस्थितियों, लालच, डर या दूसरों के दबाव में
अपने अनुसार नहीं चल पाता।

कवि कहना चाहता है कि
हमें कठपुतली की तरह
किसी के इशारे पर नहीं चलना चाहिए,
बल्कि स्वतंत्र सोच और आत्मसम्मान के साथ
अपना जीवन जीना चाहिए।


📝 प्रश्न–उत्तर (Question–Answer)

प्रश्न 1. कविता में कठपुतली किसका प्रतीक है?

उत्तर:
कठपुतली उस मनुष्य का प्रतीक है जो दूसरों के इशारों पर चलता है।


प्रश्न 2. कठपुतली अपने आप क्यों नहीं चल सकती?

उत्तर:
क्योंकि वह डोरियों से बँधी होती है।


प्रश्न 3. कवि मनुष्य को क्या संदेश देना चाहता है?

उत्तर:
कवि चाहता है कि मनुष्य स्वतंत्र सोच रखे और दूसरों के दबाव में न आए।


प्रश्न 4. डोरियाँ किस बात का संकेत करती हैं?

उत्तर:
डोरियाँ डर, लालच और पराधीनता का संकेत करती हैं।


प्रश्न 5. इस कविता से हमें क्या शिक्षा मिलती है?

उत्तर:
हमें आत्मसम्मान और स्वतंत्रता के साथ जीवन जीना चाहिए।


✍️ शब्दार्थ

  • कठपुतली – डोरियों से चलने वाली गुड़िया

  • डोर – रस्सी

  • पराधीन – दूसरों के अधीन

  • आत्मसम्मान – स्वयं का सम्मान


परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण बिंदु

  • कविता प्रतीकात्मक है

  • कठपुतली = पराधीन जीवन

  • स्वतंत्रता और स्वाभिमान का संदेश

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