Class 7 Hindi – वसंत भाग 2 पाठ 11 : रहीम के दोहे

पाठ का सार (सरल भाषा में)

इस पाठ में महाकवि रहीम के प्रसिद्ध दोहे दिए गए हैं।
रहीम के दोहों में
जीवन, प्रेम, मित्रता, विनम्रता और व्यवहार की गहरी सीख छिपी होती है।

रहीम सरल शब्दों में
बहुत बड़ी बात कह देते हैं।
उनके दोहे हमें सिखाते हैं कि
हमें घमंड नहीं करना चाहिए,
मीठी वाणी बोलनी चाहिए
और सच्चे मित्रों की पहचान करनी चाहिए।


🪔 मुख्य दोहे व उनके अर्थ (सरल भाषा में)

दोहा 1

रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकाय।
टूटे से फिर न जुड़े, जुड़े गाँठ पड़ जाय॥

अर्थ:
प्रेम का रिश्ता बहुत नाज़ुक होता है।
अगर यह टूट जाए तो
फिर पहले जैसा नहीं बन पाता।


दोहा 2

रहिमन मीठे वचन ते, सुख उपजत चहुँ ओर।
वशीकरण यह मंत्र है, तज दे वचन कठोर॥

अर्थ:
मीठे शब्द बोलने से
चारों ओर सुख फैलता है।
कठोर वचन छोड़ देने चाहिए।


दोहा 3

रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिए डारि।
जहाँ काम आवे सुई, कहा करै तरवारि॥

अर्थ:
छोटे व्यक्ति या वस्तु को
कभी तुच्छ नहीं समझना चाहिए।
हर चीज़ का अपना महत्व होता है।


📝 प्रश्न–उत्तर (Question–Answer)

प्रश्न 1. रहीम के दोहों का मुख्य विषय क्या है?

उत्तर:
रहीम के दोहों का मुख्य विषय जीवन की सीख और नैतिक मूल्य हैं।


प्रश्न 2. ‘रहिमन धागा प्रेम का’ दोहे से क्या सीख मिलती है?

उत्तर:
हमें प्रेम और रिश्तों को संभालकर रखना चाहिए।


प्रश्न 3. मीठे वचन क्यों महत्वपूर्ण हैं?

उत्तर:
मीठे वचन से प्रेम बढ़ता है और संबंध अच्छे रहते हैं।


प्रश्न 4. रहीम छोटे को तुच्छ न समझने की बात क्यों कहते हैं?

उत्तर:
क्योंकि छोटे की भी जरूरत पड़ सकती है और उसका भी महत्व होता है।


प्रश्न 5. इस पाठ से हमें क्या शिक्षा मिलती है?

उत्तर:
हमें विनम्र, प्रेमपूर्ण और समझदार व्यवहार करना चाहिए।


✍️ शब्दार्थ

  • वचन – शब्द

  • लघु – छोटा

  • बड़ेन – बड़े

  • कठोर – कड़वा

  • प्रेम – प्यार


परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण बिंदु

  • रहीम के दोहे नैतिक शिक्षा देते हैं

  • भाषा सरल लेकिन भाव गहरे

  • व्यवहारिक जीवन से जुड़े संदेश

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