पाठ 7 : क्या निराश हुआ जाए
✨ पाठ का सार (सरल भाषा में)
इस पाठ में लेखक जीवन की कठिन परिस्थितियों पर बात करता है।
लेखक कहता है कि जीवन में समस्याएँ आना स्वाभाविक है,
लेकिन उनसे निराश होना सही नहीं।
इतिहास और वर्तमान—दोनों में ऐसे अनेक उदाहरण हैं
जहाँ कठिन समय के बाद अच्छे दिन आए हैं।
मनुष्य की मेहनत, धैर्य और आशा
उसे हर मुश्किल से बाहर निकाल सकती है।
लेखक का संदेश है कि
निराशा से कुछ नहीं मिलता,
जबकि आशा और प्रयास
जीवन को आगे बढ़ाते हैं।
📝 प्रश्न–उत्तर (Question–Answer)
प्रश्न 1. लेखक निराश होने से क्यों मना करता है?
उत्तर:
क्योंकि निराशा से मनुष्य कमजोर पड़ जाता है और समाधान नहीं मिलता।
प्रश्न 2. कठिन समय में हमें क्या करना चाहिए?
उत्तर:
हमें धैर्य रखना चाहिए और प्रयास करते रहना चाहिए।
प्रश्न 3. लेखक ने आशा को क्यों महत्वपूर्ण बताया है?
उत्तर:
क्योंकि आशा मनुष्य को आगे बढ़ने की शक्ति देती है।
प्रश्न 4. पाठ का मुख्य संदेश क्या है?
उत्तर:
कठिन परिस्थितियों में भी निराश न होकर प्रयास करते रहना चाहिए।
प्रश्न 5. इस पाठ से हमें क्या शिक्षा मिलती है?
उत्तर:
हमें जीवन में आशावादी रहना चाहिए और कभी हार नहीं माननी चाहिए।
✍️ शब्दार्थ
निराशा – हताशा
आशा – उम्मीद
धैर्य – सब्र
परिस्थिति – हालात
प्रयास – कोशिश
✅ परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण बिंदु
पाठ प्रेरणादायक है
निराशा के विरुद्ध संदेश
आशा और प्रयास का महत्व
