पाठ 14 : अकबरी लोटा

पाठ का सार (सरल भाषा में)

यह एक हास्य–व्यंग्यपूर्ण कहानी है।
कहानी में अकबरी लोटा एक साधारण लोटा है,
लेकिन लोग उसे बादशाह अकबर से जोड़कर
बहुत कीमती और खास मानने लगते हैं।

असल में लोटा साधारण ही होता है,
पर नाम और अफ़वाह के कारण
उसका महत्व बढ़ जाता है।
लोग बिना सोचे-समझे
बातों और दिखावे पर विश्वास कर लेते हैं।

लेखक इस कहानी के माध्यम से
समाज की उस आदत पर व्यंग्य करता है
जिसमें लोग सच्चाई से ज़्यादा नाम और रुतबे को महत्व देते हैं।
यह पाठ हमें सिखाता है कि
हर बात को तर्क और समझ से परखना चाहिए।


📝 प्रश्न–उत्तर (Question–Answer)

प्रश्न 1. अकबरी लोटा क्या था?

उत्तर:
अकबरी लोटा एक साधारण लोटा था, जिसे अकबर से जोड़कर विशेष मान लिया गया।


प्रश्न 2. लोग लोटे को कीमती क्यों समझने लगे?

उत्तर:
क्योंकि उसका संबंध बादशाह अकबर से बताया गया था।


प्रश्न 3. कहानी व्यंग्यात्मक क्यों है?

उत्तर:
क्योंकि इसमें समाज की अंधी आस्था और दिखावे पर हँसी के साथ चोट की गई है।


प्रश्न 4. लेखक समाज की किस कमजोरी पर व्यंग्य करता है?

उत्तर:
लोगों के बिना सोचे-समझे नाम और अफ़वाह पर विश्वास करने की आदत पर।


प्रश्न 5. इस पाठ से हमें क्या शिक्षा मिलती है?

उत्तर:
हमें किसी भी बात को आँख बंद करके नहीं मानना चाहिए, बल्कि सोच-समझकर निर्णय लेना चाहिए।


✍️ शब्दार्थ

  • लोटा – पानी रखने का पात्र

  • व्यंग्य – हँसी के माध्यम से सीख

  • अफ़वाह – बिना प्रमाण की बात

  • दिखावा – बाहरी चमक

  • तर्क – समझदारी से सोचना


परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण बिंदु

  • कहानी हास्य–व्यंग्य से भरपूर

  • नाम और रुतबे की झूठी महत्ता

  • सोच-समझकर निर्णय लेने की सीख

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