Class 7 Hindi – वसंत भाग 2 पाठ 16 : भोर और बरखा

पाठ का सार (सरल भाषा में)

यह कविता प्रकृति के दो सुंदर रूपों
भोर (सुबह) और बरखा (बारिश)
का मनोहारी वर्णन करती है।

भोर के समय
आकाश में हल्की रोशनी फैलती है,
पक्षी चहचहाने लगते हैं
और वातावरण पवित्र और ताज़ा हो जाता है।

बरखा के समय
बादल घिर आते हैं,
धरती हरी-भरी हो जाती है
और किसानों के चेहरे पर खुशी छा जाती है।

कवि बताता है कि
भोर जीवन में नई शुरुआत का प्रतीक है
और बरखा जीवन में
उम्मीद और समृद्धि लाती है।


📝 प्रश्न–उत्तर (Question–Answer)

प्रश्न 1. कविता में किन दो प्राकृतिक रूपों का वर्णन है?

उत्तर:
कविता में भोर और बरखा का वर्णन है।


प्रश्न 2. भोर का दृश्य कैसा होता है?

उत्तर:
भोर का दृश्य शांत, पवित्र और ताज़गी से भरा होता है।


प्रश्न 3. बरखा से क्या लाभ होते हैं?

उत्तर:
बरखा से धरती हरी-भरी होती है और किसानों को लाभ होता है।


प्रश्न 4. कवि भोर और बरखा को किसका प्रतीक मानता है?

उत्तर:
भोर को नई शुरुआत और बरखा को जीवन व समृद्धि का प्रतीक मानता है।


प्रश्न 5. इस कविता से हमें क्या शिक्षा मिलती है?

उत्तर:
हमें प्रकृति की सुंदरता को समझना और उसका सम्मान करना चाहिए।


✍️ शब्दार्थ

  • भोर – सुबह

  • बरखा – वर्षा

  • समृद्धि – खुशहाली

  • पवित्र – शुद्ध


परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण बिंदु

  • प्रकृति का सुंदर वर्णन

  • भोर और बरखा के प्रतीकात्मक अर्थ

  • प्रकृति प्रेम का संदेश

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top