Class 7 Hindi – वसंत भाग 2 पाठ 18 : संघर्ष के कारण मैं तुनकमिज़ाज हो गया : धनराज
✨ पाठ का सार (सरल भाषा में)
यह पाठ भारत के महान हॉकी खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद के बेटे धनराज पिल्लै के जीवन पर आधारित है।
धनराज बचपन में बहुत गरीब परिस्थितियों में पले-बढ़े।
उन्हें खाने, रहने और खेल के सामान तक के लिए
काफी संघर्ष करना पड़ा।
लगातार संघर्ष, अपमान और कठिनाइयों के कारण
उनका स्वभाव तुनकमिज़ाज (जल्दी गुस्सा होने वाला) हो गया।
लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी।
मेहनत, अनुशासन और लगन से
उन्होंने भारतीय हॉकी टीम में जगह बनाई
और देश का नाम रोशन किया।
यह पाठ हमें सिखाता है कि
संघर्ष इंसान को मजबूत बनाता है,
बस हमें सही दिशा में मेहनत करनी चाहिए।
📝 प्रश्न–उत्तर (Question–Answer)
प्रश्न 1. धनराज पिल्लै कौन हैं?
उत्तर:
धनराज पिल्लै भारत के प्रसिद्ध हॉकी खिलाड़ी हैं।
प्रश्न 2. धनराज का बचपन कैसा था?
उत्तर:
धनराज का बचपन गरीबी और कठिन संघर्षों में बीता।
प्रश्न 3. धनराज तुनकमिज़ाज क्यों हो गए थे?
उत्तर:
लगातार संघर्ष, अपमान और कठिन परिस्थितियों के कारण वे तुनकमिज़ाज हो गए थे।
प्रश्न 4. धनराज ने सफलता कैसे प्राप्त की?
उत्तर:
धनराज ने कड़ी मेहनत, अनुशासन और लगन से सफलता प्राप्त की।
प्रश्न 5. इस पाठ से हमें क्या शिक्षा मिलती है?
उत्तर:
हमें संघर्ष से डरना नहीं चाहिए और लक्ष्य के लिए मेहनत करते रहना चाहिए।
✍️ शब्दार्थ
संघर्ष – कठिन प्रयास
तुनकमिज़ाज – जल्दी गुस्सा होने वाला
अनुशासन – नियमों का पालन
लगन – मेहनत से जुड़ा मन
सफलता – कामयाबी
✅ परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण बिंदु
धनराज पिल्लै का संघर्षपूर्ण जीवन
मेहनत से मिली सफलता
संघर्ष से सीख लेने का संदेश
